दोस्तों ताड़ का पेड़ बचपन से ही मेरे लिये एक सोचने वाला विषय होता था क्योंकि मैं लोगों को जब ताड़ के पेड़ पर ताड़ के रस को उतारते देखता था तो यही सोचता था यह लोग इतने ऊपर चढ कैसे जाते और इसके रस के लिये अपना जान जोख़िम में डालते इन ताड़ के पेड़ की लंबाई बहुत होती थी और ताड़ी उतारने वाले शरीर सुडौल होता था मैं इन्हें देख डर जाता की ऊपर से गिरे तो क्या होगा बसंत से इनमें फूल आता और यह लोग चढ कर उसमें से रस निकालना शुरू करते थे और यह रस पूरी रात टपकता मटका भर जाता था कुदरत का खेल भी अजीब है इनके रस में मधुमक्खी नशा करके उसी में गिर जाती थी,सुबह की ताड़ी दवा का काम करता और शाम का जिसे धूप लगलजाता नशा का एक बार कोशिश की पीने की पर एक घूंट मे जैसे उल्टी सी आ जाये और माता जी की डांट की नशा होता फिर पीने की हिम्मत नही हुई,सोचा आपको भी बताऊँ तो जानिये इस अद्भुत पेड़ के बारे में ताड़ का परिचय (ताड़ नारियल की तरह लंबा और सीधा पेड़ होता है लेकिन ताड़ के वृक्ष में डालियाँ नहीं होती है वरन् तने से ही पत्ते निकलते हैं। आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि ताड़ का वृक्ष नर और नारी दो प्रकार के
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