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Showing posts from July, 2020

मिनिस्टर साहब नाचने आए है इसलिए अधिकारी भी नाचने गए हैं

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जैसलमेर से बीकानेर बस रुट पर....बीच में एक बड़ा सा गाँव है जिसका नाम है "नाचना" अक्सर वहाँ से जब बस आती है तो लोग कहते है कि  नाचने वाली बस आ गयी..और कंडक्टर भी बस रुकते ही चिल्लाता.. नाचने वाली सवारियाँ यहीं उतर जाएं बस आगे जाएगी.. ऐसे ही एक बार एक इमरजेंसी में रॉ का एक नौजवान अधिकारी जैसलमेर आया और रात बहुत हो चुकी थी, वह सीधा थाने पहुँचा और ड्यूटी पर तैनात सिपाही से पूछा - थानेदार साहब कहाँ हैं ? सिपाही ने जवाब दिया थानेदार साहब "नाचने" गये हैं.. अफसर का माथा ठनका उसने पूछा डिप्टी साहब कहाँ हैं..? सिपाही ने विनम्रता से जवाब दिया- हुकुम "डिप्टी साहब" भी नाचने गए हैं.. अब तो अफसर को लगा सिपाही अफीम की पिन्नक में है, फिर उसने एसपी के निवास पर फोन📞 किया।और पूछा  एस.पी. साहब हैं ? और उधर से फोन पर जवाब मिला कि साहब नाचने गए हैं..!! पर अफसर कन्फ्यूजिया गया और फिर पूछा  लेकिन नाचने कहाँ गए हैं, ये तो बताइए ? उधर से बताया न नाचने गए हैं, सुबह तक आ जायेंगे।और फोन रख दिया कलेक्टर के घर फोन लगाया वहाँ भी यही जवाब मिला, साहब तो नाचने गए हैं.. अफसर का दि

इस कहानी के माध्यम से संदेश कोरोना से सावधान रहने के लिए जरूर पढ़ें

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एक राजा को राज करते काफी समय हो गया था।बाल भी सफ़ेद होने लग थे।एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया व अपने गुरुदेव को भी बुलाया। उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया। राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दी, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे भी उसे पुरस्कृत कर सकें। सारी रात नृत्य चलता रहा। ब्रह्म मुहूर्त की बेला आई, नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है और तबले वाले को सावधान करना ज़रूरी है, वरना राजा का क्या भरोसा दंड दे दे। तो उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक दोहा पढ़ा - "घणी गई थोड़ी रही, या में पल पल जाय। एक पलक के कारणे, युं ना कलंक लगाय।" अब इस  दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला। तबले वाला सतर्क होकर बजाने लगा।  जब यह दोहा गुरु जी ने सुना तो गुरुजी ने सारी मोहरें उस नर्तकी को अर्पण कर दी। दोहा सुनते ही राजकुमारी ने  भी अपना नौलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया। दोहा सुनते ही राजा के युवराज ने भी अपना मुकुट उतारकर नर्तकी को समर्पित कर द

विनीता कुमारी का मशरूम कि खेती से बीज के उत्पादन तक के सफर कि कहानी

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कई महिलाओं के लिए मिसाल बन रही बिहार के बांका जिले के झिरवा गांव के निवासी विनीता कुमारी आज स्वयं आत्मनिर्भर होकर कई महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर समूह से जोड़ रही हैं और उनको भी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर कर रही हैं आज गांव एक्सप्रेस के वरिष्ठ पत्रकार अनिकेत सिन्हा कि खास बातचीत हुई मशरूम की खेती एवं बीज निर्माण करने वाली सफल महिला किसान विनीता कुमारी द्वारा उनके संघर्ष सफल होने तक की खास बातें  प्रश्न-मशरूम की खेती करने की शुरुआत कब हुई पति की सीमित आय और परिवार की बढ़ती जिम्मेदारियों को देखते हुए हमेशा से ख्याल आता था कि कुछ अलग किया जाए जिससे परिवार की आमदनी का जरिया बढे। मुख्य रूप से ग्रेजुएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद हमेशा से कुछ अलग करने की इच्छा मन में बनी रहती थी ऐसे में 2011 में कृषि विज्ञान केंद्र बांका द्वारा चलाए जा रहे मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली और डॉक्टर विनोद कुमार से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मशरूम की खेती की शुरुआत कर दी उसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और दिन प्रतिदिन मशरूम की बढ़ती डिमांड  देख